कविता - बंदिश - 🌷 ' चितचोर '
कविता - बंदिश - 🌷 ' चितचोर '
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - २९ ऑगस्ट २०१९
वेळ - सुबह, ११ बजे
नींद चुराए नयनों से
कौन है यह चितचोर
बेचैनी सी छायी सखी री
मन ना लगे कहीं ओर || ध्रु ||
सुध-बुध खोई, हुई बावरी
कारन बीना मुसकायी
चिठ्ठी आयी सजना की,
पल में दुनिया बदल गई || १ ||
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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