कविता - 🌷 " प्रकृती बनी राधा " तारिख - रविवार, १२ मार्च २०१७
कविता - 🌷 " प्रकृती बनी राधा "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - रविवार, १२ मार्च २०१७
रंगोंकी प्यारीसी बरसात, ये कौन कर रहा है
दिल को यूँ छूं कर, अब ये कौन छिप गया है
नजरके सामने तो ये अद्भुत सुंदर नजारा है
मनके झरोंखे से भीतर-ये कौन झाँक रहा है
भिनी-भिनीसी सुगंध हवामें-कौन फैला रहा है
मेरे मनको न जाने चुपकेसे कौन बहका रहा है
यह किसकी आहट मेरे मनमें ऊमंगें ला रही हैं
यह किसकी मधुर धुन, मनमें बीन बजा रही है
अनोखा अन्देखा मयूर, पंख पसारे बुला रहा है
मानो मनका कोना-कोना उसीपर फिदा हुआ है
बिना डोर, यह किस ओर मैं खिंचीसी जा रही हूँ
यह कैसा अगम्य रूप है, जिसमे बंधी जा रही हूँ
कोई तो बताए, कौन कर रहा है सभी पर यूँ जादू
पगलासी गई राधा, साँवरे की चाह में हुई बेकाबू ...
राधा हँसी तो फूल खिल गये, फैली खुशबू चहू ओर ...
महक ऊठी सारी धरती, ऋतु बसंत आयी चितचोर ...
घनश्याम दबे पाँव आकर, चुरा लिया हर-मन उसने ...
प्रकृती बनी राधा, निखरी सज-धजकर तन-मन से ...
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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