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Showing posts from May, 2024

कविता - बंदिश -🌷 ' बूंद-बूंद पानी '

कविता - बंदिश -🌷 ' बूंद-बूंद पानी ' कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले  तारिख - १५ ऑगस्ट २०१९ वेळ - रात, ८ बजे  पीया-पीया बोले नदी की हर लहर दूर से ताके सागर, होके हर्ष-विभोर || ध्रु || नाचती लहराती पानी की बूंद-बूंद, मिलन की आस में आंख लिये मूंद ! || १ || 🌷@तिलोत्तमा विजय लेले 🙏🕉️🔆

कविता - बंदिश -🌷 ' रुठी री सजनी '

कविता - बंदिश -🌷 ' रुठी री सजनी ' कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले  तारिख - १५ ऑगस्ट २०१९ वेळ - रात, ८ बजे  ढल गया चांद, ओझल हुई चाॅंदनी साजन न आया, रुठ गई री सजनी || ध्रु || राह तकत सखी, बिती री उमरिया, कौन जाने कहां रह गये सावरिया ! || १ || 🌷@तिलोत्तमा विजय लेले 🙏🕉️🔆

कविता - बंदिश -🌷 ' आहट '

कविता - बंदिश -🌷 ' आहट ' कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले  तारिख - २७ ऑगस्ट २०१९ वेळ - दोपहर, ४ बजे  पंछी चहकने लगे, फूल महकने लगे आई साजन की आहट, फिर, मन बहकने लगे || ध्रु || चमन-चमन खिल उठा, नादाॅं भॅंवरा मंडराने लगा आया हवा का एक झोंका दिल खुशी से झूमने लगा || १ || 🌷@तिलोत्तमा विजय लेले  🙏🕉️🔆

कविता - बंदिश - 🌷 ' चितचोर '

कविता - बंदिश - 🌷 ' चितचोर ' कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले  तारिख - २९ ऑगस्ट २०१९ वेळ - सुबह, ११ बजे  नींद चुराए नयनों से कौन है यह चितचोर बेचैनी सी छायी सखी री मन ना लगे कहीं ओर || ध्रु || सुध-बुध खोई, हुई बावरी कारन बीना मुसकायी चिठ्ठी आयी सजना की, पल में दुनिया बदल गई || १ || 🌷@तिलोत्तमा विजय लेले 🙏🕉️🔆

Poem - 🌷 " Why’s "

Poem - 🌷 " Why’s " Date - 17 October 2020 Time - 9.14 pm Poetry by Tilottama Vijay Lele Why’s sky full of clouds ? Why’s mind full of doubts ? Why’s darkness everywhere ? why’s joy no longer there ?! Everyone here’s complicated Nobody is simple n devoted ... Why’s every person wicked ? As if a thing within, is dead ! Is this all real or a nightmare ? No strength is left, even to dare Every thing here, is just to scare ! A scary nightmare going on for ever  Wonder what’s really going wrong ? Why’s there no melody in my song ? As if some Devil is blowing a Gong ! So Bless me God n make me strong 🌷@Tilottama Vijay Lele 🙏🕉🔆