कविता : 🌷' मन-के-बोल '


कविता :🌷 ' मन-के-बोल '
कवयित्री : तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख : गुरुवार, १२ ऑक्टोबर २०२३
समय : रात के ८ बजे

मनवा साई-नाथ साईं-राम बोल रे।
सफल होंगेे, बिगड़े काम सब तेरे ।।

माया मोह, जाल बिछाकर ताक रहें।
हे मन, भूलके ना फंस उस जालमें।।

रंग-रुप धन-दौलत नहीं काम आने।
संत-वचन-सत् कर्म जरुरी हैं तारने।।

सब भूलकर मगन हो जा भक्ति में।
ईश्वर स्वयं आएंगे भक्तों से मिलने।।

नाम-यज्ञ, सत्कर्म-योग हैं सच्चे साधन।
इनके बिना कैसे होगा सफल ये जीवन।।

🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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